भूकम्प उत्पत्ति के क्या कारण है ? [ Causes of Earthquakes in Hindi ]
Earthquakes

भूकंप उत्पत्ति के मुख्य कारण :

  1. ज्वालामुखी क्रिया (Volcanic Activity )-

  •  जब कभी ज्वालामुखी का उदभेदन विस्फोटक के साथ होता है तो उसके मुख के निकटवर्ती क्षेत्र कांप उठते हैं और हिलने लगते हैं , और फलस्वरूप उन क्षेत्रों में भूकंप आ जाता है। 
  • ज्वालामुखी क्रिया में जब तीव्र एवं वेगवती वाष्प धरातल के निचले भाग से बाहर प्रकट होने के लिए धक्के लगाती है तो भूपटल में अनायास ही जोरों से कम्पन पैदा हो जाती है तथा भयंकर भूकंप अनुभव किया जाता है। 
  • जहाँ पर भूपटल कमजोर होता है , वहाँ पर वेगवती गैसें तीव्रता के साथ भूपटल को तोड़कर विस्फोटक रूप में धरातल पर ज्वालामुखी के उदगार के साथ प्रकट होती है,जिससे भूपटल पर भयंकर कम्पन पैदा होता है जो विनाशकारी होता है। 
  •  इस प्रकार साधारण भूकम्पों का प्रभाव 160 से 240 किलोमीटर तक होता है। 
  • वर्ष 1883 में जब सुंडा जलडमरूमध्य (जावा तथा सुमात्रा के बीच ) क्राकाटोआ द्वीप पर भयंकर ज्वालामुखी का विस्फोट हुआ जो बहुत ही तीव्र औअमेर विनाशकारी था जिसका प्रभाव वहाँ से 12,800 किलोमीटर दूर दक्षिणी अमेरिका के हार्न अन्तरीप तक अनुभव किया गया था।
  • 16 जनवरी , 1968 का सिसिली द्वीप (भूमध्य सागर ) के माउण्ट एटना ज्वालामुखी का पुनः अचानक भयंकर उद्गार प्रारम्भ हो गया जिसके कारण विनाशकारी भूकंप आया था जिससे अपार जन-धन की हानि हुई।  

2. भूपटल भ्रंश (Faulting )-

  • भूगर्भिक हलचलों द्वारा भूपटल भ्रंश तथा वलन होता है। इन परिवर्तनों के प्रमुख कारण खिंचाव तथा सम्पीडन की शक्तियाँ हैं। 
  • जब चट्टान में खिंचाव की शक्तियाँ कार्य करती हैं तो भूपटल में दरार का निर्माण करती है। खिंचाव की क्रिया में शक्तियाँ दो विपरीत दिशाओं में कार्य करती हैं जिस कारण सामान्य दरार तथा व्युत्क्रम दरार की रचना है।
  •  जिसके कारण कोई स्थल भाग निचे की ओर खिसक जाता है ,तो रिफ्ट घाटी का निर्माण होता है। 
  • जब कोई भाग ऊपर उठ जाता है , होर्स्ट पर्वत की रचना होती है। 
  • दरार द्वारा निर्मित पर्वतों को अवरोधी या ब्लाक पर्वत कहा जाता है। इन क्रियाओं का परिणाम यह होता है कि धरातलीय भागों का अगल-बगल खिसकाव अथवा ऊपर-निचे की तरफ खिसकाव होता है जिसके कारण पृथ्वी में कम्पन पैदा हो जाती है जिससे भूकंप का अनुभव किया किया जाता है। 
  • सम्पीडन की शक्ति के कारण भूपटल में मोड़ पड़ जाते है जिससे मोड़दार वलित पर्वतों की रचना होती है। यही क्रिया जब तेज़ी से होती है तो भूकंप का अनुभव होता है। 
  • इसीलिए अधिकांश भूकंप नवीन मोड़दार पर्वतों (आल्प्स ,हिमालय ,राकीज तथा एंडीज़ ) की पेटी में आते रहते हैं। 
  • आसाम (भारत) में सन्न 1950 ई. का भयंकर भूकंप दरार के कारण धरातल में अव्यवस्था उपस्थित होने से ही आया था। जिसमे 1500 व्यक्ति मारे गये तथा 60 झटके महसूस किये गए। 
  • आसाम की प्रमुख दो नदियों - लोहित तथा दिहांग में भयंकर बाढ़ आने के कारण उनकी धारा ही बदल गयी। 
  • बिहार राज्य (भारत) का सन्न 1934 का भूकंप भी भूपटल में खिसकाव तथा अव्यवस्था के कारण ही आया था। जिसके प्रभाव से दरार तथा झील का निर्माण हुआ था। 
  • 26 जनवरी , 2001 का भुज (गुजरात) का प्रलयकारी भूकंप सतह के निचे दरारों के सक्रीय होने के कारण आया था जिसके कारण कच्छ प्रदेश में मीठे जल का प्रवाह प्रारम्भ हो गया। 

3 . भूसंतुलन में अव्यवस्था (Isostatic Disturbances ) -

  • पृथ्वी की धरातलीय शैलें (सियाल), भूगर्भवर्ती शैलों (सिम) पर तैर रही हैं। पृथ्वी के धरातल की उच्च भूमि की शैलें जब अपरदन के साधनों द्वारा घिस - घिस कर निचले भागों में जमा होती हैं तो भूसंतुलन कायम रखने के लिए उच्च भूमि ऊपर उठती जाती है तथा निचली भूमि निचे दबती है। 
  • फलस्वरूप , भार घटने के क्षेत्र में उत्थान तथा भार बढ़ने के क्षेत्र में अवतलन पैदा होता है , जिससे साम्यावस्था कायम रहती है। पृथ्वी के धरातल पर इस संतुलन को कायम रखने के लिए पर्याप्त गहराई पर लावा प्रवाह होता है। इससे शैलों में भरी हलचल  है , जिससे धरातल पर धक्के लगते हैं और भूकंप का अनुभव है।  

4 . जलीय भार (Hydraulic Load)-

  • अधिकांश भूगर्भवेत्ताऒं का मानना है कि धरातलीय भाग पर जब जल की अपार राशि का भंडारन (मानवकृत जलाशयों तथा बांधों से )हो जाता है तो उससे उत्पन्न अत्यधिक भार तथा दबाव के कारण जलभंडार की तली के निचे स्थित चट्टानों में हेर - फेर होने लगती है। जब यह परिवर्तन तेज़ी से होता है तो भूकंप  अनुभव किया जाता है। 
  • 11 दिसम्बर ,1967 के भारत के कोयना भूकंप के अनेक सम्भावित कारणों में एक कारण कोयना बांध तथा जलभंडार द्वारा उत्पन्न अव्यवस्था को भी बताया गया। 
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में कोलोरैडो नदी पर बांध बनने तथा मीड नमक जलाशय के बन जाने के बाद उस क्षेत्र में प्रायः भूकंप आते रहे।  

5 . भूपटल में संकुचन (Contraction of the Earth Crust )-

  • बहुत से विद्वानों का मानना है कि विकिरण द्वारा निरंतर ताप ह्वास के कारण पृथ्वी के ताप में पर्याप्त कमी होने के कारण भूपटल शीतल होने लगती है। 
  • इस प्रकार पृथ्वी के ठंडे होने से उसकी पपड़ी में सिकुड़न या संकुचन  होता है जो की पर्वत निर्माणकारी क्रिया को जन्म देती है। संकुचन तथा सिकुड़न शीघ्र तथा तीव्रता से होती है तो भूपटल में कम्पन पैदा हो जाती है तथा भूकंप का अनुभव किया  जाता है। 

6 . गैसों का फैलाव (Diffusion of Gases )-

  • भूपटल के निचे जब किसी कारण से जल पहुंच जाता है तो वह अत्यधिक ताप के कारण जल वाष्प अथवा गैस में बदल जाता है। जब इनकी तीव्रता अधिक हो जाती है ,तो ये गैसें अथवा वाष्प ऊपर जाने का प्रयास करती है। जिसके कारण भूपटल के निचे धक्के लगाने लगती है ,जिस कारण भूपटल में कम्पन उठने लगती है जिससे साधारण भूकंप का अनुभव किया जाता है। 
  • कभी - कभी ऊपरी दबाव कम हो जाता है , तो अचानक संकुचित गैस में प्रसार या फैलाव होने लगता है जिस कारण पृथ्वी में कम्पन हो जाती है।   

7 . प्लेट विवर्तन सिद्धान्त (Plate Tectonic Theory )-

  • सर्वप्रथम हैरी हैस ने 1960 में इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया फिर 1967 में मैकेंजी, पारकर और मोर्गन ने उपलब्ध विचारों को समन्वित कर अवधारणा के रूप में प्रस्तुत किया।

  • प्लेटों के एक दूसरे के सापेक्ष होने वाले संचलन के परिणामस्वरूप पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तन के अध्ययन को प्लेट विवर्तनिकी कहते हैं।

  • इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की भू-पर्पटी अनेक छोटी-बड़ी प्लेटों में विभक्त है । ये प्लेटें 100 किमी. की मोटाई वाले स्थलमण्डल (लिथोस्फेयर) से निर्मित होती हैं एवं दुर्बलमण्डल (एस्थेनोस्फेयर) पर तैरती रहती हैं जो कि पूर्णतः SiMa का बना है व अपेक्षाकृत अधिक घनत्व का होता है ।

सामान्य भूकंप के क्या कारण है ?

  1. सागरीय तटीय भागों पर सागरीय लहरों के कटाव के कारण जब महाद्वीप तटीय भाग टूटकर सागर में गिरता है तो समीपवर्ती भागों में साधारण प्रकार  कम्पन का अनुभव किया जाता है। कभी - कभी किनारों का टूटना अचानक ही संपन्न हो। 
  2.  अपक्षय की क्रियाओं से प्रभावित होकर पहाड़ी भागों में बड़े - बड़े शिलाखंड जब टूटकर निचे की तरफ तेजी से गिरते हैं तो का अनुभव किया जाता है। 
  3. जब ग्लेशियर पर्वतीय भाग भाग से निचे की तरफ सरकता है तो बीच में तीव्र ढाल के आ जाने से बड़े - बड़े हिमपिंड टूटकर निचे की तरफ गिरने लगते हैं , जिस कारण सामान्य भूकंप समीपवर्ती क्षेत्रों में आ जाते हैं। 
  4. पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन करती है। इस घूर्णन कारण भी कभी - कभी कमजोर भागों में भूकंप अनुभव किया जाता है। 
  5. चुने के चट्टानों वाले प्रदेश में कन्दराओं की छत जब टूटकर निचे गिरती है तो साधारण भूकंप आते है। लोयस मीट्टी वाले क्षेत्रों में मिट्टी के ढेर के खिसकने से कम्पन पैदा होती है। चीन में इस प्रकार के भूकंप प्रायः आते हैं।   
  6. प्रचंड सागरीय भूकंप के कारण जब तेजी से सुनामी लहरें उत्पन्न होती है तो साधारण भूकंप आते हैं। कभी - कभी लहरों के तेजी से टकराने से भूकंम्प आते हैं।